5 Essential Elements For mithun lagna ki kundli



मिथुन लग्न की संपूर्ण जानकारी मिथुन लग्न की संपूर्ण जानकारी

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वृषभ लग्न की कुंडली एकादश भाव में चंद्रमा का फल

If you wish to learn about right now’s auspicious time, Shubh, Labh, Char and Amrit are acknowledged as quite possibly the most notable Choghadiyas. According to the hindu calendar, Amrit is easily the most auspicious interval for any kind of get the job done, Labh is the best healthy to the folks who desire to start out a fresh company or desire to excel in the field of education and learning.

मेष लग्न की कुंडली के एकादश भाव में शुक्र का फल

षष्ठेश होने के नाते यह रोग, ऋण, शत्रु, अपमान, चिंता, शंका, पीडा, ननिहाल, असत्य भाषण, योगाभ्यास, जमींदारी वणिक वॄति, साहुकारी और एकादशेश होने के नाते यह लोभ, लाभ, स्वार्थ, गुलामी, दासता, संतान हीनता, कन्या संतति, ताऊ, चाचा, भुवा, बडे भाई बहिन, भ्रष्टाचार, रिश्वत खोरी, बेईमानी जैसे संदर्भों का स्वामी होता है। मंगल का बलवान और शुभ प्रभावगत होना उपरोक्त विषयों में मिथुन लग्न के जातकों को शुभ फ़लदायक होता है एवम निर्बल एवम पाप प्रभावगत मंगल अशुभ फ़लदायी होता है।

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मिथुन लग्न के चौथे भाव में कन्या राशि आती है जिसका आधिपत्य बुध ग्रह के पास होता है। यहां पर बैठा चंद्रमा व्यक्ति को भूमि, भवन, वाहन का सुख पर्याप्त मात्रा में दिलाता है लेकिन माता के सुखों में कमी आती है।

कर्क लग्न की कुंडली के प्रथम भाव में राहु, शत्रु चंद्रमा की राशि में स्थित होने के कारण जातक को शारीरिक सौंदर्य में कमी रहती है तथा ह्रदय चिंतित बना रहता है कभी-कभी मृत्यु तुल्य कष्ट का सामना भी करना पड़ता है परंतु वह गुप्त युक्तियों के बल पर अपने सम्मान को बचाए रखता है तथा उन्नति के लिए कठिन परिश्रम भी करता है।

कर्क लग्न की कुंडली के सप्तम भाव में राहु का फल

केतु देवता की भी अपनी कोई राशि नहीं होती। वह अपनी मित्र राशि और शुभ भाव में बैठकर शुभ फल देते हैं।

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इस कुंडली में सूर्य देवता मारक ग्रह होने के कारण कहीं भी स्थित हैं परन्तु वह अशुभ फल ही देंगे। अपनी क्षमता के अनुसार ही अशुभ फल देंगे।

मिथुन लग्न में चंद्रमा कर्क या वृष राशि का हो तो जातक बहुत धनवान होता है।

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